प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली, 29 अगस्त 2025: भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8% की शानदार GDP वृद्धि दर्ज की है। यह आंकड़ा पिछले साल की समान तिमाही के 6.5% से काफी बेहतर है और विशेषज्ञों के अनुमानों को भी पीछे छोड़ता है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के आंकड़ों के मुताबिक, यह वृद्धि वैश्विक चुनौतियों, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 50% टैरिफ के बावजूद हासिल हुई है। सेवा क्षेत्र ने इस उछाल में सबसे बड़ी भूमिका निभाई, जबकि कृषि और विनिर्माण ने भी मजबूती दिखाई।
हाल ही में ट्रम्प ने भारत की अर्थव्यवस्था को “Dead Economy” कहा था और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस बयान का समर्थन किया था। लेकिन आज यह आंकड़ा भारत की आर्थिक ताकत का जवाब है।
सेवा क्षेत्र की शानदार रफ्तार
सेवा क्षेत्र ने इस तिमाही में 9.3% की शानदार वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल की 6.8% की तुलना में बहुत बेहतर है। व्यापार, होटल, परिवहन, वित्तीय सेवाएं और सरकारी खर्च जैसे क्षेत्रों ने इस वृद्धि को गति दी। नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) के मुताबिक, वास्तविक सकल मूल्य वर्धित (GVA) 7.6% बढ़कर ₹44.64 लाख करोड़ हो गया, जो पिछले साल ₹41.47 लाख करोड़ था। नाममात्र GVA में भी 8.8% की वृद्धि हुई, जो ₹78.25 लाख करोड़ तक पहुंच गया। डिजिटल अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास ने इस क्षेत्र को और मजबूत किया। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की सेवा क्षेत्र की यह ताकत वैश्विक व्यापारिक तनावों के बीच भी अर्थव्यवस्था को स्थिर रख रही है।
कृषि और विनिर्माण ने दिखाई ताकत
कृषि क्षेत्र ने 3.7% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल की 1.5% से काफी बेहतर है। अच्छे मानसून और खरीफ फसलों की बुवाई में बढ़ोतरी ने इसे बल दिया। विनिर्माण क्षेत्र ने 7.7% की वृद्धि के साथ अपनी ताकत दिखाई और निर्माण क्षेत्र ने भी 7.6% की बढ़त हासिल की। हालांकि, खनन क्षेत्र में 3.1% की गिरावट देखी गई और बिजली, गैस, जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में केवल 0.5% की मामूली वृद्धि हुई। ये आंकड़े बताते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था कई क्षेत्रों के सहयोग से आगे बढ़ रही है, जो इसे वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ मजबूत बनाता है।

खपत और निवेश ने दी रफ्तार
खर्च के मामले में, सरकारी खपत (GFCE) में 9.7% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल की 4.0% से कहीं बेहतर है। निजी खपत (PFCE), जो घरेलू खर्च को दिखाता है, 7.0% बढ़ी, हालांकि यह पिछले साल के 8.3% से थोड़ा कम है। निवेश को दर्शाने वाला सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) 7.8% बढ़ा, जो पिछले साल के 6.7% से बेहतर है। सरकार ने पूंजीगत खर्च में 52% की बढ़ोतरी की और जीएसटी संग्रह में भी वृद्धि हुई। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प के टैरिफ से निर्यात में कमी हो सकती है, जिसका असर GDP पर 30-80 बेसिस पॉइंट्स तक हो सकता है। फिर भी, भारत की मजबूत घरेलू मांग इस चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
‘डेड इकॉनमी’ का जवाब है भारत की यह GDP
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत की अर्थव्यवस्था को “Dead Economy” कहा था और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उनके इस बयान का समर्थन किया था। लेकिन 7.8% की GDP वृद्धि ने इस दावे को गलत साबित कर दिया। विश्व बैंक और आईएमएफ ने भारत की वृद्धि को 6.3-6.4% अनुमानित किया है, जो इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में रखता है। भारत ने 2025 में जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल किया। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की युवा आबादी, डिजिटल अर्थव्यवस्था और विविध व्यापारिक साझेदारियां इसे वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद कर रही हैं।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।