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उत्तर प्रदेश: हाल ही में धार्मिक जगत में एक नया विवाद सुर्खियों में है। चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने लोकप्रिय संत प्रेमानंद महाराज को लेकर एक सनसनीखेज बयान दिया है। एनडीटीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को न तो विद्वान माना और न ही चमत्कारी। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को चुनौती दी कि वे उनके सामने एक संस्कृत अक्षर बोलकर या किसी श्लोक का अर्थ समझाकर अपनी विद्वता साबित करें। इस बयान ने भक्तों और धार्मिक समुदाय में हलचल मचा दी है, क्योंकि प्रेमानंद महाराज की सादगी और भक्ति के लिए देश-विदेश में लाखों अनुयायी हैं।
रामभद्राचार्य की चुनौती: “एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखाएं”
जगद्गुरु रामभद्राचार्य, जो अपनी संस्कृत विद्वता और शास्त्रार्थ में महारत के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता और चमत्कारी छवि पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कोई चमत्कार नहीं है। यदि प्रेमानंद जी चमत्कारी हैं, तो मैं चुनौती देता हूं कि वे मेरे सामने एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखाएं या मेरे कहे श्लोक का अर्थ समझाएं।” रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को “बालक के समान” बताते हुए कहा कि वे न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी।
उनके अनुसार, सच्चा चमत्कार वही है जो शास्त्रीय चर्चा में सहज हो और संस्कृत श्लोकों का सटीक अर्थ बता सके। उन्होंने यह भी कहा कि पहले केवल विद्वान लोग ही कथावाचन करते थे, लेकिन आजकल कुछ लोग बिना शास्त्रीय ज्ञान के धर्म का प्रचार कर रहे हैं।
रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज की भक्ति और भजनों की तारीफ की, लेकिन इसे चमत्कार मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा, “मुझे उनके भजन अच्छे लगते हैं, लेकिन यह क्षणभंगुर लोकप्रियता है। सच्चा ज्ञान शास्त्रों की गहराई में है।” इस बयान ने धार्मिक जगत में एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या लोकप्रियता और भक्ति को विद्वता के समकक्ष माना जा सकता है।

प्रेमानंद महाराज: भक्ति और सादगी का प्रतीक
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज, जिनका मूल नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय है, राधा वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़े एक रसिक संत हैं। वृंदावन में श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट के संस्थापक, वे अपनी सादगी और भक्ति भरे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध हैं। 13 वर्ष की आयु में सन्यास लेने वाले प्रेमानंद महाराज ने अपना जीवन राधा-कृष्ण की भक्ति को समर्पित कर दिया। उनके सत्संग में क्रिकेटर विराट कोहली, अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और अन्य हस्तियां शामिल होती हैं। पिछले 19 वर्षों से दोनों किडनियों में समस्या होने के बावजूद, वे रोजाना वृंदावन की परिक्रमा करते हैं, जिसे उनके भक्त चमत्कार मानते हैं।

हालांकि, रामभद्राचार्य ने इस पर कहा कि किडनी डायलिसिस एक सामान्य चिकित्सा प्रक्रिया है और इसे चमत्कार कहना ठीक नहीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रेमानंद महाराज जो करना चाहते हैं, उन्हें करने देना चाहिए, लेकिन उनकी लोकप्रियता को चमत्कार के रूप में प्रचारित करना स्वीकार्य नहीं है।
गांधी जी पर विवादास्पद टिप्पणी
इस साक्षात्कार में रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद के गांधी जी पर विचारों को लेकर भी टिप्पणी की। प्रेमानंद के इस विचार पर कि सभी धर्म और जातियां समान हैं, रामभद्राचार्य ने कहा, “गांधी जी के कारण ही देश का विभाजन हुआ। वे जवाहरलाल नेहरू को बहुत प्यार करते थे और उनकी गलतियों को नजरअंदाज करते थे।” उन्होंने दावा किया कि सनातन धर्म ने कभी आक्रमण नहीं किया, जबकि इतिहास में आक्रमण मुसलमानों और ईसाइयों की ओर से हुए। यह बयान भी विवाद का कारण बन सकता है, क्योंकि यह ऐतिहासिक और सामाजिक मुद्दों को छूता है।
भक्तों में बंटी राय
रामभद्राचार्य के इस बयान ने प्रेमानंद महाराज के भक्तों को दो खेमों में बांट दिया है। एक ओर वे लोग हैं जो प्रेमानंद की सादगी और भक्ति की तारीफ करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग रामभद्राचार्य की विद्वता का समर्थन करते हैं। सोशल मीडिया पर भी यह विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ यूजर्स ने लिखा, “प्रेमानंद महाराज की भक्ति अनुकरणीय है, लेकिन शास्त्रीय ज्ञान में रामभद्राचार्य का कोई जवाब नहीं।” वहीं, कुछ ने प्रेमानंद का समर्थन करते हुए कहा कि भक्ति का मार्ग विद्वता से अलग है और दोनों की तुलना नहीं की जानी चाहिए।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।