Online Gaming Bill 2025: ऑनलाइन मनी गेम्स पर लगेगी सख्त पाबंदी! दोनों सदनों से पास हुआ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025

Online Gaming Bill 2025

नई दिल्ली: भारत की संसद के दोनों सदनों ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 (Online Gaming Bill 2025) को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना और ई-स्पोर्ट्स व सामाजिक गेम्स को बढ़ावा देना है। यह विधेयक 20 अगस्त 2025 को लोकसभा में और अगले ही दिन 21 अगस्त 2025 को राज्यसभा में पारित हुआ।

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल को पेश करते हुए इसे समाज के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया, जो न केवल युवाओं और कमजोर वर्गों को वित्तीय और मानसिक नुकसान से बचाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक गेमिंग उद्योग में अग्रणी बनाएगा। इस बिल के तहत ऑनलाइन मनी गेम्स को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, जबकि ई-स्पोर्ट्स और शिक्षाप्रद गेम्स को बढ़ावा देने की योजना है।

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बिल के प्रमुख प्रावधान

प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 (Online Gaming Bill 2025) ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रस्तुत करता है। इस बिल के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  • ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध: बिल में ‘ऑनलाइन मनी गेम’ को ऐसे खेल के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें उपयोगकर्ता पैसे जमा करके या दांव लगाकर खेलता है और मौद्रिक या अन्य लाभ की उम्मीद करता है। इसमें कौशल या भाग्य आधारित दोनों तरह के खेल शामिल हैं, जैसे कि फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर, रम्मी और ऑनलाइन लॉटरी। इस तरह के खेलों को पेश करने, संचालित करने या प्रचार करने पर तीन साल तक की जेल, एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • विज्ञापन पर रोक: ऑनलाइन मनी गेम्स के विज्ञापनों पर भी पूर्ण प्रतिबंध है। इसमें सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और सेलिब्रिटी शामिल हैं, जिन्हें ऐसे खेलों का प्रचार करने पर दो साल तक की जेल और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
  • बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर पाबंदी: बैंक, वित्तीय संस्थान और अन्य भुगतान गेटवे को ऑनलाइन मनी गेम्स से संबंधित किसी भी लेनदेन की अनुमति नहीं होगी। यह कदम इन खेलों की वित्तीय रीढ़ को तोड़ने के लिए उठाया गया है।
  • ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी की स्थापना: बिल में एक केंद्रीय नियामक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है, जो गेमिंग क्षेत्र की नीतियों, रणनीतियों और निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा। यह प्राधिकरण यह तय करेगा कि कौन सा खेल ‘मनी गेम’ की श्रेणी में आता है और शिकायतों का समाधान करेगा।
  • ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक गेम्स को बढ़ावा: बिल ई-स्पोर्ट्स को एक वैध खेल के रूप में मान्यता देता है और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण अकादमियां, अनुसंधान केंद्र और प्रौद्योगिकी मंच स्थापित करने की योजना है। साथ ही, शैक्षिक और सामाजिक गेम्स को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो बिना दांव के खेले जा सकते हैं।
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क्यों जरूरी था यह बिल?

सरकार का कहना है कि ऑनलाइन मनी गेम्स ने समाज में गंभीर सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा की हैं। अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि लगभग 45 करोड़ लोग इन खेलों से प्रभावित हुए हैं और मध्यम आय वर्ग के परिवारों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऑनलाइन मनी गेमिंग को ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ के रूप में मान्यता दी है, जो एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम है। इसके अलावा, इन खेलों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और धोखाधड़ी जैसे गैरकानूनी कार्यों के लिए भी किया गया है।

सरकार का मानना है कि स्व-नियामक उपाय प्रभावी नहीं रहे हैं और इसलिए एक कठोर कानूनी ढांचे की जरूरत थी। बिल में यह भी उल्लेख किया गया है कि ये खेल विशेष रूप से युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय बर्बादी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और आत्महत्या जैसी घटनाएं सामने आई हैं।

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उद्योग पर प्रभाव

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग, विशेष रूप से रियल-मनी गेमिंग, भारत में एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जिसका मूल्य 2029 तक 9.2 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इस उद्योग ने 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी निवेश आकर्षित किया है और 1.3 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया है। हालांकि, इस बिल के लागू होने से उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

  • नौकरियों का नुकसान: उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस प्रतिबंध से 2 लाख से अधिक नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं और 300 से अधिक कंपनियां बंद हो सकती हैं। ड्रीम11, माय11सर्कल, विनजो और गेम्स24×7 जैसी कंपनियां, जो इस क्षेत्र की अग्रणी हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगी।
  • निवेश और राजस्व में कमी: कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने चेतावनी दी है कि यह बिल 6 बिलियन डॉलर के निवेश को खतरे में डाल सकता है और सरकार को प्रतिवर्ष 20,000 करोड़ रुपये के जीएसटी और कर राजस्व का नुकसान हो सकता है।
  • अवैध प्लेटफॉर्म का खतरा: ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यह प्रतिबंध उपयोगकर्ताओं को अवैध और अपतटीय प्लेटफॉर्म की ओर धकेल सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
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विपक्ष का रुख

विपक्ष ने इस बिल को जल्दबाजी में पारित करने और हितधारकों के साथ परामर्श की कमी के लिए आलोचना की है। कांग्रेस सांसद प्रियंक खड़गे ने कहा कि प्रतिबंध के बजाय नियमन बेहतर समाधान होता। सांसद जॉन ब्रिटास ने बिल को एक चयन समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया।

यह बिल भारत के गेमिंग उद्योग के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। जहां एक ओर यह ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक गेम्स को बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक गेमिंग हब बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर रियल-मनी गेमिंग उद्योग के लिए यह एक बड़ा झटका है। सरकार का दावा है कि यह बिल समाज को वित्तीय और मानसिक नुकसान से बचाएगा।

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