प्रमुख बिंदु-
Indian Railway Luggage Rules: भारतीय रेलवे ने यात्रियों के लिए एक बड़ा बदलाव लागू किया है, जो हवाई यात्रा की तर्ज पर सामान की सीमा को सख्ती से नियंत्रित करेगा। अब ट्रेनों में तय सीमा से ज्यादा सामान ले जाने पर यात्रियों को अतिरिक्त शुल्क देना होगा और गंभीर मामलों में छह गुना तक जुर्माना भी लग सकता है। यह नया नियम उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के प्रमुख स्टेशनों से शुरू हो रहा है, जहां इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीनें लगाई जा रही हैं। इस बदलाव ने यात्रियों के बीच चर्चा का माहौल बना दिया है, खासकर उन लोगों में जो लंबी दूरी की यात्रा के लिए ट्रेन को किफायती और सुविधाजनक मानते हैं।
क्या है नियम
भारतीय रेलवे ने हवाई यात्रा की तरह ट्रेनों में सामान की वजन सीमा को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत प्रत्येक यात्री को अपनी श्रेणी के अनुसार निर्धारित वजन तक ही सामान मुफ्त ले जाने की अनुमति होगी। अगर यात्री इस सीमा से अधिक सामान ले जाता है और उसने पहले से बुकिंग नहीं कराई, तो उसे सामान्य किराए का डेढ़ से छह गुना तक जुर्माना देना पड़ सकता है। रेलवे ने अलग-अलग कोचों के लिए निम्नलिखित सीमाएं तय की हैं:
- एसी फर्स्ट क्लास (AC-1): 70 किलोग्राम तक मुफ्त
- एसी टू टियर (AC-2): 50 किलोग्राम तक मुफ्त
- एसी थ्री टियर (AC-3) और स्लीपर क्लास: 40 किलोग्राम तक मुफ्त
- जनरल और सेकंड सिटिंग: 35 किलोग्राम तक मुफ्त
इसके अलावा, 10 किलोग्राम तक अतिरिक्त सामान ले जाने की छूट है, बशर्ते यात्री पहले से रेलवे के पार्सल काउंटर पर बुकिंग करा लें। लेकिन अगर सामान का आकार बड़ा है और कोच में ज्यादा जगह घेरता है, तो भले ही वजन सीमा के अंदर हो, उस पर भी जुर्माना लग सकता है। यह नियम यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है, क्योंकि अधिक सामान से कोच में भीड़भाड़ और असुरक्षा की स्थिति पैदा हो सकती है।

कहां लागू होगा यह नियम?
यह नई व्यवस्था सबसे पहले उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के प्रमुख स्टेशनों पर लागू की जा रही है। इनमें शामिल हैं:
- प्रयागराज जंक्शन
- प्रयागराज छिवकी
- सूबेदारगंज
- कानपुर सेंट्रल
- मिर्जापुर
- टूंडला
- अलीगढ़ जंक्शन
- गोविंदपुरी
- इटावा
इन स्टेशनों पर प्रवेश और निकास द्वारों पर इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीनें लगाई जाएंगी, जो यात्रियों के बैग का वजन और आकार जांचेंगी। यात्री को प्लेटफॉर्म पर प्रवेश से पहले अपने सामान का वजन कराना होगा और उतरने वाले यात्रियों के सामान की भी जांच हो सकती है। उत्तर रेलवे के कुछ अन्य स्टेशनों, जैसे लखनऊ चारबाग और बनारस, पर भी जल्द ही यह व्यवस्था शुरू होने की संभावना है।

रेलवे का तर्क: सुविधा और सुरक्षा
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह नियम यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए बनाया गया है। सीनियर डीसीएम हिमांशु शुक्ला के अनुसार, कई बार यात्री इतना ज्यादा सामान ले जाते हैं कि कोच में अन्य यात्रियों को बैठने या चलने में दिक्कत होती है। भारी-भरकम सामान सुरक्षा के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है। इस नियम से ट्रेनों में भीड़भाड़ कम होगी और यात्रा अधिक आरामदायक होगी। रेलवे का यह भी कहना है कि जो यात्री अतिरिक्त सामान ले जाना चाहते हैं, वे पहले से पार्सल बुकिंग करा सकते हैं, जिससे यात्रा के दौरान कोई परेशानी नहीं होगी।

यात्रियों और नेताओं की प्रतिक्रिया
इस नए नियम ने यात्रियों और राजनीतिक नेताओं के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया पैदा की है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस नियम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह गरीबों के खिलाफ है, खासकर उन मजदूरों और किसानों के, जो साल में एक-दो बार अपने गांव जाते हैं और अपने साथ दाल-चावल जैसे जरूरी सामान ले जाते हैं। अखिलेश ने इसे “भ्रष्टाचार का नया अध्याय” करार देते हुए कहा कि इससे गरीब यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
वहीं, कुछ यात्री इस नियम का स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे कोच में जगह की कमी की समस्या कम होगी। लेकिन कई यात्रियों, खासकर जनरल डिब्बे में सफर करने वालों, को लगता है कि 35 किलोग्राम की सीमा बहुत कम है, और इससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
क्या करें यात्री?
यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी यात्रा से पहले सामान का वजन जांच लें और जरूरत पड़ने पर रेलवे के पार्सल काउंटर पर बुकिंग करा लें। इससे जुर्माने से बचा जा सकता है और यात्रा सुगम होगी। साथ ही, सामान का आकार भी छोटा रखने की कोशिश करें, ताकि कोच में जगह की दिक्कत न हो। रेलवे स्टेशनों पर सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक पार्सल बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है।

भारतीय रेलवे का यह नया नियम ट्रेन यात्रा को और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक कदम है, लेकिन इसके लागू होने से यात्रियों को अपनी आदतों में बदलाव करना होगा। खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के यात्रियों के लिए यह नियम चुनौतीपूर्ण हो सकता है। रेलवे को चाहिए कि वह इस नियम को लागू करने के साथ-साथ यात्रियों को जागरूक करने और पार्सल बुकिंग की प्रक्रिया को और आसान बनाने पर ध्यान दे। क्या यह नियम वाकई यात्रा को बेहतर बनाएगा या यात्रियों के लिए नई मुश्किलें खड़ी करेगा, यह तो समय ही बताएगा।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
