2028 तक पूरी तरह लागू हो जाएगा 8वां वेतन आयोग, बेसिक सैलरी ₹18,000 से बढ़कर ₹44,000 हो सकती है, जानें कितना होगा फयदा!

8th Pay Commission

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी लादे हुए आ रहा है आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission)। जनवरी 2025 में कैबिनेट की मंजूरी के बाद से ही चर्चाओं में बना यह आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा, लेकिन पूरी तरह अमल में आने के लिए 2028 तक का इंतजार हो सकता है। इससे 50 लाख से अधिक कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स को दो साल का एरियर मिलेगा। न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 44,000 रुपये तक पहुंच सकता है। आइए जानते हैं इसकी पूरी डिटेल्स, जो आपके वेतन भविष्य को बदल सकती हैं।

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आयोग की मंजूरी: 2026 से शुरू, लेकिन 2028 तक फुल स्पीड

केंद्र सरकार ने फरवरी 2025 के बजट में आठवें वेतन आयोग के लिए कोई फंड आवंटित नहीं किया, जिससे कई कर्मचारी संगठनों में निराशा है। फिर भी, आधिकारिक घोषणा के मुताबिक यह 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। इसका मतलब साफ है- सैलरी और पेंशन की गणना इसी तारीख से होगी, भले ही पूर्ण कार्यान्वयन में देरी हो। विशेषज्ञों का मानना है कि कमीशन का गठन, संदर्भ शर्तों का निर्धारण और रिपोर्ट तैयार करने में कम से कम दो साल लगेंगे। पिछले आयोगों की तरह, रिपोर्ट आने के बाद सरकार की मंजूरी और अधिसूचना जारी होने में और समय लगेगा। कुल मिलाकर, 2028 तक सब कुछ पटरी पर आ सकता है, लेकिन एरियर के साथ फायदा तुरंत मिलेगा।

8th Pay Commission

लरी हाइक का अनुमान: फिटमेंट फैक्टर से कितना फायदा?

आठवें वेतन आयोग का सबसे बड़ा आकर्षण है फिटमेंट फैक्टर, जो सैलरी को कई गुना बढ़ा सकता है। सातवें आयोग में यह 2.57 था, लेकिन अब 2.28 से 2.46 के बीच रहने की संभावना है। लेवल-1 के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 41,000 से 44,000 रुपये हो सकती है। महंगाई भत्ता (डीए) शून्य से शुरू होगा, क्योंकि नई बेसिक पे पहले ही महंगाई को समाहित कर लेगी।

एक उदाहरण लें: मान लीजिए लेवल-6 पर आपका बेसिक पे 35,400 रुपये है। वर्तमान डीए 55% (19,470 रुपये) और मेट्रो शहर में एचआरए 27% (9,558 रुपये) जोड़कर कुल सैलरी 64,428 रुपये बनती है। नए आयोग में 2.46 फिटमेंट पर नई बेसिक 87,084 रुपये हो जाएगी। डीए जीरो और एचआरए 23,513 रुपये जोड़कर कुल 1,10,597 रुपये। यानी करीब 46% की बढ़ोतरी! हालांकि, डीए मर्जर न होने से शुरुआती वेतन थोड़ा कम लग सकता है, लेकिन लंबे समय में यह फायदेमंद साबित होगा। पेंशनर्स को भी समान अनुपात में लाभ मिलेगा।

8th Pay Commission Salary Hike to ₹44,000 by 2028
नोटः सैलरी हाइक का अनुमान फिटमेंट फैक्टर (2.46) के आधार पर है।

क्या है फिटमेंट फैक्टर?

ये एक मल्टीप्लायर नंबर है, जिसे मौजूदा बेसिक सैलरी से गुणा करके नई बेसिक सैलरी निकाली जाती है। वेतन आयोग इसे महंगाई और लिविंग कॉस्ट को ध्यान में रखकर तय करता है।

लाभार्थी कौन? 1 करोड़ से ज्यादा प्रभावित

इस आयोग का असर सीधे 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों पर पड़ेगा, जिनमें रेलवे, डाक, डिफेंस और अन्य विभाग शामिल हैं। इसके अलावा 65 लाख पेंशनभोगी भी फायदा उठाएंगे। कुछ राज्य सरकारें भी सिफारिशें अपना सकती हैं, जिससे कुल प्रभावितों की संख्या 1 करोड़ पार हो सकती है। विशेष रूप से निचले स्तर के कर्मचारियों को ज्यादा राहत मिलेगी, जहां न्यूनतम वेतन में 34% से अधिक की छलांग लग सकती है। एचआरए, टीए और अन्य भत्तों में भी संशोधन होगा, हालांकि कुछ कटौती की आशंका भी जताई जा रही है ताकि बजट संतुलित रहे। कर्मचारी यूनियनें फिटमेंट को 3.0 तक धकेलने की मांग कर रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी कोई पुष्टि नहीं।

8th Pay Commission

वेतन आयोगों का सफर: 1947 से अब तक

भारत में वेतन आयोगों की परंपरा 1947 से चली आ रही है। हर दशक में ये आयोग कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों की समीक्षा करते हैं। नीचे दी गई तालिका में प्रमुख आयोगों की समयसीमा देखें:

वेतन आयोगलागू होने की तारीख
पहला1 जुलाई 1947
दूसरा1 जुलाई 1959
तीसरा1 जनवरी 1973
चौथा1 जनवरी 1986
पांचवां1 जनवरी 1996
छठा1 जनवरी 2006
सातवां1 जनवरी 2016
आठवां1 जनवरी 2026*

*नोट: आठवां आयोग 2026 से प्रभावी, लेकिन पूर्ण अमल 2028 तक। पांचवें आयोग ने 51 पे स्केल्स को 34 में घटाया था, जबकि छठे ने ग्रेड पे सिस्टम लाया। सातवें ने पे मैट्रिक्स पेश किया, जिससे पारदर्शिता बढ़ी। आठवें में डिजिटल इंडेक्सेशन और इन्फ्लेशन को ध्यान में रखा जाएगा।

देरी की वजहें: सेटअप से रिपोर्ट तक का लंबा सफर

हर वेतन आयोग को गठित होने से लागू होने तक औसतन 2-3 साल लगते हैं। सातवां आयोग फरवरी 2014 में बना, लेकिन नवंबर 2015 में रिपोर्ट आई और जून 2016 में मंजूर हुआ। छठा अक्टूबर 2006 में स्थापित हुआ, रिपोर्ट मार्च 2008 में तैयार हुई। इसी तरह, आठवें के लिए अभी सदस्यों की सूची, टर्म्स ऑफ रेफरेंस और आधिकारिक नोटिफिकेशन बाकी हैं। 2025 के अंत तक अगर कमीशन बन भी गया, तो रिपोर्ट और मंजूरी में समय लगेगा। बजट में फंड न होने से भी चिंता है, लेकिन सरकार ने आश्वासन दिया है कि 2026 की समयसीमा पर कोई बदलाव नहीं।

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